नये सोपान की सत्ता रखे आबाद भारत को,
नहीं है अब किसी में दम करे बर्बाद भारत को।
लगा ले जोर कितना ही दबा सकते नहीं सच को,
जलेगी होलिका फिर से मिला प्रह्लाद भारत को।
कभी गैरों के बंधन में,कभी अपनों के चंगुल में,
बड़ी शिद्दत से देखुँ अब,मेरे आज़ाद भारत को।
हमारे देश की मिट्टी,महकती जिनकी रग-रग में,
दिया धरती ने अपना लाडला औलाद भारत को।
किसी की बाजुओं में दम उठाकर आँख देखे तो,
धराशाही करे पल में मिला फौलाद भारत को।
शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप"
No comments:
Post a Comment